aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "انظرؔ"
'अनवर' की दुआ है ऐ मौला फिर हिन्द की क़िस्मत जाग उठेबिछड़े आपस में मिल जाएँ हम रूठे हुए को मना डालें
अजीब वक़्त पड़ा है फ़न-ए-निज़ामत परकि दम-ब-ख़ुद से खड़े हैं अब 'अनवर'-ओ-'मंज़ूर'
जनम जनम के हैं चक्कर नए सफ़र के लिएन जाने 'इंद्र' चलेगा कि राम आएगा
रात चाहे जितनी भीबे-हया हो काली हो
ढूँडते रहोगे तुममैं ने उस के बाद 'अनवर'
आज पत-झड़ से जीवन में पहले-पहलमेरे बे-रंग बंजर बदन की ज़मीं
आग के इस दहकते हुए गोले कोदस्त-ए-फ़ितरत ने बर्फ़ीली चादर उढ़ा कर
धरती किस की खोज में फिरती रहती हैसूरज किस की याद में जलता रहता है
किताबों में मैं ने पढ़ा थाकि लाखों बरस क़ब्ल
बस्ती वालो जागोआँखें खोलो
हब्स है इतनाइतनी घुटन है
बाग़ में फैली वीरानियों से परेशाँ न होएक दिन बैठ जाएगी सब धूल उड़ती हुई
जिधर देखता हूँ उधरकोएले के पहाड़ों का इक सिलसिला है
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books