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नज़्म
हुस्न हो जाएगा जब औरों का वक़्फ़-ए-ख़ास-ओ-आम
दीदनी होगा तिरे ख़ल्वत-कदे का एहतिमाम
जोश मलीहाबादी
नज़्म
दरस-ए-सुकून-ओ-सब्र ब-ईं एहतिमाम-ए-नाज़
निश्तर-ज़नी-ए-जुम्बिश-ए-मिज़्गाँ लिए हुए
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
एहतिमाम-ए-ज़िंदगी जिस में ब-तौर-ए-ख़ास हो
आसमाँ जिस का मोहब्बत हो ज़मीं इख़्लास हो
सीमाब अकबराबादी
नज़्म
छुप गया ख़ुर्शीद-ए-ताबाँ आई दीवाली की शाम
हर तरफ़ जश्न-ए-चराग़ाँ का है कैसा एहतिमाम
मोहम्मद सिद्दीक़ मुस्लिम
नज़्म
मुख़्तलिफ़ मुम्ताज़ ओहदों से हुआ जो सरफ़राज़
दौर-ए-ख़िदमत भी गुज़ारा जिस ने बा-सद-एहतिशाम
प्रेम लाल शिफ़ा देहलवी
नज़्म
उठे हैं बहर-ए-दुआ कितने काँपते हुए हाथ
किस एहतिमाम से बाँधा गया है रख़्त-ए-सफ़र