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नज़्म
वो इक फ़ानी बशर था मैं ये बावर कर नहीं सकता
बशर इक़बाल हो जाए तो हरगिज़ मर नहीं सकता
हफ़ीज़ जालंधरी
नज़्म
ओसामा ख़ालिद
नज़्म
कहिए तो नहीं बावर ना कहिए तो काफ़िर-तर
कहने की क़सम मुझ को को मैं ज़म से नहीं कहता
मीम हसन लतीफ़ी
नज़्म
जिस ने मोहब्बत से नफ़रत करना सिखाया
जिस ने बावर कराया कि जिस्म की तो कोई हक़ीक़त ही नहीं
इंजिला हमेश
नज़्म
तुम्हारे साथ भी गुज़री हुई रातों के साए हैं
तआ'रुफ़ रोग हो जाए तो उस का भूलना बेहतर
साहिर लुधियानवी
नज़्म
कल और आएँगे नग़्मों की खिलती कलियाँ चुनने वाले
मुझ से बेहतर कहने वाले तुम से बेहतर सुनने वाले