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नज़्म
मारो न हमें डैडी बचपन का ज़माना है
मौसम है ये हँसने का हँस हँस के बिताना है
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
तेरी फ़ितरत तो है बातों से बताना दिल का
मेरी फ़ितरत में सदाक़त के सिवा कुछ भी नहीं
अफ़ज़ल पेशावरी
नज़्म
उसे बताना वो बद-नसीबी का एक काँटा कभी जो तलवे में चुभ गया था निकल चुका है
कि वक़्त करवट बदल चुका है