aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بدکار"
और मुझ को ना-हंजार कहाबदकार कहा
तो किसी चेचक-ज़दा बच्चे की तरह तू ने उन्हें देखा और ख़ामोश हो रहाग़लीज़ बदकार बे-रहम
बदकार हवाएँरिहा कर दें
मौत बदकार शराबी है पड़ोसी मेरारोज़ दरवाज़े के उस पार जो गिर जाता है
ये गलियों के आवारा बे-कार कुत्तेकि बख़्शा गया जिन को ज़ौक़-ए-गदाई
चिलमनों और दरीचों की बेलों पे बे-कार खिल खिल केमुरझा गए हैं
वेद इन की टोह को पा न सकेऔर टोटके सब बे-कार गए
बे-कार ही मौसम को सताया वर्नाफूल जब खिल के महक जाता है
जेलरों की बदकारीगालियों की बौछारें
'आली' अफ़सर 'इंशा' बाबू 'नासिर' 'मीर' के बर-ख़ुरदार'फ़ैज़' ने जो अब तक लिक्खा है क्या लिक्खा है सब बे-कार
मिसाल-ए-ज़ीना-ए-मंज़िल ब-कार-ए-शौक़ आयाहर इक मक़ाम कि टूटी जहाँ जहाँ पे कमंद
बदकारी बढ़ती जाती हैजो दिन बीत गए कितने अच्छे थे!
इस क़दर पहुँचे हुए शाएर का ये किरदार हैशेर कहना छोड़ दीजे शायरी बे-कार है
सभी बे-कार गएमैं भी अब हार गया यार भी सब हार गए
ऐश-ओ-इशरत के मज़े बे-कार से साबित हुएनक़्श-ए-आलम में नुमायाँ रंग-ए-फ़ानी देख कर
जीने की कश्मकश में न बे-कार डालिएमैं थर्ड-डिवीज़नर हूँ मुझे मार डालिए
ये बे-कार की पास फ़ेलों की बातेंउसूलों के क़िस्से झमेलों की बातें
हम न सुक़रात हैं हम न मंसूर हैंहम से सच की तवक़्क़ो ही बे-कार है
मुझ को कुछ फ़िक्र नहीं आज ये दुनिया मिट जाएमुझ को कुछ फ़िक्र नहीं आज ये बे-कार समाज
ديکھ! يثرب ميں ہوا ناقہ ليلي بيکار قيس کو آرزوئے نو سے شناسا کر ديں
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