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नज़्म
थोड़ी सी मिठाई ताक़ पे थी मुट्ठी में चुराए बैठे हैं
अब्बू के भगाए भागे थे अम्मी के बुलाए बैठे हैं
शौकत परदेसी
नज़्म
जो शय बीवी ने ली वो दोश पर शौहर के दे मारी
वो बे-चारा तो ख़च्चर है बराए बार-बरदारी
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
बराए अक़्द-ख़्वानी क़ाज़ियों में फ़र्क़ है लेकिन
कराची और दिल्ली के छुवारे एक जैसे हैं
खालिद इरफ़ान
नज़्म
सड़क जो आती है छावनी से चहल-पहल उस पे ख़ूब ही है
निकल के गुंजान बस्तियों से बरा-ए-तफ़रीह सब हैं आए
नुशूर वाहिदी
नज़्म
जवानी के लिए यादें मैं सू-ए-गुलिस्ताँ आया
बराए अहल-ए-महफ़िल और ब-याद-ए-रफ़्तगाँ आया
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
घर में मोटर भी बराए-बार-बरदारी नहीं
साथ ले जाने में बच्चों के ब-जुज़-ख़्वारी नहीं