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नज़्म
ख़याली जन्नतें बनती रहीं बज़्म-ए-तसव्वुर में
अमल से जो बने अब ऐसी जन्नत की ज़रूरत है
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
ख़याली जन्नतें बनती रहीं बज़्म-ए-तसव्वुर में
अमल से जो बने अब ऐसी जन्नत की ज़रूरत है
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
उबैदुल्लाह अलीम
नज़्म
इक मुकम्मल ज़िंदगी है शाइ'र-ए-शीरीं-बयाँ
महरम-ए-राज़-ए-फ़ना है और बक़ा का तर्जुमाँ
प्रेम लाल शिफ़ा देहलवी
नज़्म
जल्वा-ए-हुस्न-ए-अज़ल आए तसव्वुर में अगर
गोशा-ए-दिल में मचलते हुए अरमाँ होंगे
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
राह देखी नहीं और दूर है मंज़िल मेरी
कोई साक़ी नहीं मैं हूँ मिरी तन्हाई है
तसद्द्क़ हुसैन ख़ालिद
नज़्म
मिरे सरकश तराने सुन के दुनिया ये समझती है
कि शायद मेरे दिल को इश्क़ के नग़्मों से नफ़रत है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
चराग़-ए-इल्म रौशन है हक़ीक़त की हवाओं पर
हुकूमत कर रहा है एक गोशे से फ़ज़ाओं पर