aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بوریے"
और जिन की मुफ़्लिसी ने शर्म-ओ-हया है खोईहै उन के सर पे सर की या बोरिए की खोई
रात करने को इक बोरिए का तलबगार थाटिमटिमाती हुई शम्अ की लौ में इब्न-ए-तमामा का साया
इस बर्फ़ भरी बोरी कोपीछे की तरफ़ सरकाओ
धान के इस ख़ाली बोरे मेंजान उलझती है
गर किसी मेहमान के आने की होती थी ख़बरबोरिया तक भी नहीं होता था उस नंगे के घर
खुरदुरी सख़्त बंजर ज़मीनों में क्या बोइए और क्या काटिएआँख की ओस के चंद क़तरों से क्या इन ज़मीनों को सैराब कर पाओगे
जो बोरे को लटकाए चुनता हो काग़ज़तो फिर जान को उस की आते हैं कुत्ते
गुड़ गेहूँ के भारी बोरेउफ़ कितना बोझ उठाए हुए
काम उस से ले लिए जाएँ तो इक दिनबोरीयत के बोझ में दब कर कहीं मर जाएगा
हाकिम ओ महकूम में बाक़ी न होगा कोई फ़र्क़एक अहल-ए-तख़्त ओ अहल-ए-बोरिया हो जाएँगे
जो जलती दोपहर में नंगे पाँव चल रहा हैया वो बूढे हाथ जो भारी सीमेंट की बोरी
न कोई आरज़ून कोई उमीद
बोरी में बंद कर के दरिया में फेंक दिएज़ेहन की टेप से उस का हर नक़्श
एक शिकस्ता बोरी उठाए जा रहा थाकि चीख़-ओ-पुकार शुरूअ' हुई
काँधे पर क़द से लम्बी बोरी लटकाएएक बच्चा
मिली हैं ये आटे से ले लीजिएकि बोरी में शायद गिरीं आप से
बोतल की शिकनों में ऊँघती बोरीयतधुँद का लम्स पी रही है
बोरीयत से भरी किताबेंन शाह-राहों पे कोई हलचल
छुट्टियों में वो बोरीयत पे लड़ते हैंऔर अपनी ज़ात की अहमियत पर झगड़ते हैं
हरियल लाए पान गिलौरीलाए बैल शकर की बोरी
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