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नज़्म
जो होने में हो वो हर लम्हा अपना ग़ैर होता है
कि होने को तो होने से अजब कुछ बैर होता है
जौन एलिया
नज़्म
इन को किसी से बैर नहीं इन के लिए कोई ग़ैर नहीं
इन का भोला-पन मिलता है सब को बाँह पसारे