aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "تیاگ"
राह-ए-वफ़ा पे चल के दिखाया है राम नेकहते हैं किस को त्याग बताया है राम ने
हम अपना होना त्याग केतिरे होने पर तय्यार
त्याग के औरत बाग़ी हो गईआज की औरत बाग़ी है रे
हवा में आँसू गैस के गोले छूटें तो सब रोना एक ही वक़्त में रोलेंत्याग का लम्बा रस्ता बा नहीं फैलाए अपनी ओर बुलाता है
मेरे लिए ये दिलकश सोहले बिन गए रोना रागशहनाई में डूब गया जब उस का आप त्याग
मुझे तुम न आवाज़ दोपास को त्याग कर
तो यूँ करता हूँअब के ख़ुद को ख़ुद से त्याग देता हूँ
पलकों से मेरी फिर वही उलझी है रौशनीवो रौशनी जो एक सुब्ह चल दी त्याग कर
फिर भी निष्ठुर त्यागमें मैं तपी
दरिया के बीच खड़ात्याग और मोक्ष के ख़्वाब देख रहा हूँ
अपना घर क्यों नहीं त्याग दियाजो तुम्हारे घर के मलबे पर
हवा में आँसू-गैस के गोले छूटें तो सब रोना एक ही वक़्त रो लेंत्याग का लम्बा रस्ता बाँहें फैलाए अपनी ओर बुलाता है
'ऐश-ओ-तरब सब त्याग रहा हैलोहे का ये सीना तेरा तिरी मेहनतें तिरी जवानी
हर वक़्त तपिश हर वक़्त ख़लिश बे-ख़्वाब हूँ मैं बेदार है वोजीने पे इधर बेज़ार हूँ मैं मरने पे उधर तयार है वो
मरने में आदमी ही कफ़न करते हैं तयारनहला-धुला उठाते हैं काँधे पे कर सवार
दिल को ज़रा तय्यार तो कर लूँआओ मिरे परदेसी साजन!
अपने कमरों से उखड़ने के लिए तय्यार नहींलेकिन उन्हों ने वादा किया है
क़त्ल पर जिन को ए'तिराज़ न थादफ़्न होने को क्यूँ नहीं तय्यार
लोग बिकने को तय्यार थेखुल गए मह-जबीनों के सर
जिस की मेहनत का अरक़ तय्यार करता है शराबउड़ के जिस का रंग बिन जाता है जाँ-परवर गुलाब
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