आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "جبر"
नज़्म के संबंधित परिणाम "جبر"
नज़्म
ये चर्ख़-ए-जब्र के दव्वार-ए-मुमकिन की है गिरवीदा
लड़ाई के लिए मैदान और लश्कर नहीं लाज़िम
जौन एलिया
नज़्म
जब्र से नस्ल बढ़े ज़ुल्म से तन मेल करें
ये अमल हम में है बे-इल्म परिंदों में नहीं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
अभी तो हुस्न के पैरों पे है जब्र-ए-हिना-बंदी
अभी है इश्क़ पर आईन-ए-फ़र्सूदा की पाबंदी
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
तबाही के फ़रिश्ते जब्र के शैतान हाएल हैं
मगर मैं अपनी मंज़िल की तरफ़ बढ़ता ही जाता हूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
गोया वो तय्यारा, उस की मोहब्बत में
अहद-ए-वफ़ा के किसी जब्र-ए-ताक़त-रुबा ही से गुज़रा!
नून मीम राशिद
नज़्म
मैं कि मायूसी मिरी फ़ितरत में दाख़िल हो चुकी
जब्र भी ख़ुद पर करूँ तो गुनगुना सकता नहीं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
रंज-ए-ग़ुर्बत के सिवा जब्र के पहलू भी तो हैं
जो टपकते नहीं आँखों से वो आँसू भी तो हैं