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नज़्म
हुआ है दिल का तक़ाज़ा कि एक ना'त कहूँ
मैं अपने ज़ख़्म के गुलशन से ताज़ा फूल चुनूँ
नईम सिद्दीक़ी
नज़्म
ये ज़ोम-ए-क़ुव्वत-ए-फ़ौलाद-ओ-आहन देख लो तुम भी
ब-फ़ैज़-ए-जज़्बा-ए-ईमान-ए-मोहकम हम भी देखेंगे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
ये चमन-ज़ार ये ख़ुश-रंग बहारों का जहाँ
ज़िंदगी कितनी दिल-आवेज़-ओ-दिल-आरा है यहाँ