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नज़्म
ये महफ़िल आ ही गई रोज़-ओ-शब की सरहद पर
जनाब-ए-सद्र भी अब सो चुके हैं मसनद पर
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
मौलवी जन्नत में पहोंचे तो अजब थे सिलसिले
नाश्ते में सुब्ह को बस चाय और पापय मिले
सय्यद हशमत सुहैल
नज़्म
सवाल बच्चे ने जो किए थे
जवाब उन का दबी ज़बाँ से वही दिया है जो मुझ को अज्दाद से मिला था
अख़्तर हुसैन जाफ़री
नज़्म
मैं एक पत्थर सही मगर हर सवाल का बाज़-गश्त बन कर जवाब दूँगा
मुझे पुकारो मुझे सदा दो
अहमद नदीम क़ासमी
नज़्म
ये झुकी-झुकी सी नज़र सनम ये सवाल है कि जवाब है
जिसे आज तक न मैं पढ़ सका तिरा चेहरा ऐसी किताब है