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नज़्म
नुशूर वाहिदी
नज़्म
अभी रात के सफ़र में किसी अन-देखे जहान से
मेरी दुनिया के जंगलों में उतरते जुगनुओं के झुण्ड चहक चहक के
अहमद हमेश
नज़्म
इन में कुछ लीडर सिफ़त थे और कुछ वालंटियर
झुण्ड में सुरख़ाब के हों जिस तरह ज़ाग़-ओ-ज़ग़न
रज़ा नक़वी वाही
नज़्म
हवा के दोश पर उड़ते हैं मिस्ल-ए-गर्द-ए-आवारा
गिद्धों का झुण्ड कि मंडला रहा हो जैसे मुर्दों पर
कौसर मज़हरी
नज़्म
फिर उट्ठा चिड़ियों का एक झुण्ड चहचहाता हुआ
हवा हरे भरे खेतों से उट्ठी गाती हुई