aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "حاشیہ"
ख़याल ही ख़याल में, वो हाशिया-निगारियाँजो दे गया फ़रेब वो, शबाब ढूँढता हूँ मैं
इक सियह मातमी हाशिया बुन दिया हैहवा उस से कहना
मेरा काम भी तो सुनते जाओमैं हाशिया अंधी हूँ
अपने दाएँ हाथ की उँगली सेइक बे-हाशिया तस्वीर खींचूँ
जहाँ पर बात मुबहम है जिसे तफ़्सील लाज़िम हैवहाँ पर हाशिया देना
किस शान से जीते थे यहाँ ख़ार हुए क्यूँसोचा है कभी हाशिया-बरदार हुए क्यूँ
फ़ितरत के हाशिया-नवीसों नेचंद बोसीदा ख़्वाहिशात की कई फटी चादरें ओढ़ कर
तड़पती रूह से जुड़ा ला-शुऊरी हाशिया देख करसाँसों की महक बदलने लगी
तुम्हारी याद कहीं तह-नशीं न हो जाएकिसी मतन का मुझे हाशिया बना लेना
मैं और भी काला हो गया हूँये हाशिए में लिखा हुआ है:
यूँ जवाब कापी पर हाशिए लगाते हैंदाएरे बनाते हैं
किसी हाशिए पे रक़म न होंमैं फ़रेब-ख़ुर्दा-ए-बरतरी
मत्न के सब हाशिएजिन से ऐश-ख़ाम के नक़्श-ए-रिया बनते रहे!
''عاقبت منزل ما وادي خاموشان است حاليا غلغلہ در گنبد افلاک انداز''
क़ब्ज़े से तीरगी के सहर छूटने को थीमशरिक़ के हाशिए में किरन फूटने को थी
''عاقبت منزل ما وادي خاموشان است حاليا غلغلہ در گنبد افلاک انداز''!
चेहरे की किताब के वरक़ पर!ज़ख़्मों ने जो हाशिए लिखे हैं
बारह महीनों के हाशिए मेरे सामने हैंदसवें महीने की ठंडी हवा
मख़्सूस हाशिए परटूटने का अलमिया ठहरी
अपनी हालिया नज़्मों मेंसीवरेज पाइप के साथ
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books