aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "خوف_زوال"
शादी के ब'अद घर में जब आती हैं बीवियाँशर्म-ओ-हया का ढोंग रचाती हैं बीवियाँ
समुंदरों के मुहीब तूफ़ाँ मेरे अज़ाएम के साहिलों से शिकस्त खा कर पलट चुके हैंमैं कोहसारों की हस्तियोंं से भी आसमाँ का वक़ार बन कर उलझ चुका हूँ
मैं सर्द-मेहर ज़िंदगी से क्या तलब करूँतलब तो एक बहर है
जहाँ-ज़ादवो हल्ब की कारवाँ-सरा का हौज़, रात वो सुकूत
سبب کچھ اور ہے، تو جس کو خود سمجھتا ہے زوال بندہ مومن کا بے زري سے نہيں
ہند ميں حکمت ديں کوئي کہاں سے سيکھے نہ کہيں لذت کردار، نہ افکار عميق
बस्तियाँ उजड़ गईंख़ाक-ओ-ख़ूँ से भर गईं
خدا سے حسن نے اک روز يہ سوال کيا جہاں ميں کيوں نہ مجھے تو نے لازوال کيا
يہ مہر و مہ، يہ ستارے يہ آسمان کبود کسے خبر کہ يہ عالم عدم ہے يا کہ وجود
एक हवेली ढा कर!तुम ने इक ऊँचा ऐवान बनाया
रात की खुली खिड़कीबंद होने वाली है
जिस दिन मेरे देस की मिट्टीकोमल मिट्टी
वो एक पत्थरवो सख़्त काला सियाह पत्थर
ज़वाल पर थी बहार की रुतख़िज़ाँ का मौसम उरूज पर था
प्यारे बच्चो तुम एक काम करोअपनी नेकी से पैदा नाम करो
झुटपुटे के शहर मेंबेगानगी की लहर में
ज़मीं से क्यूँ न मुझे प्यार हो कि मेरा वजूदअज़ल से ता-ब-अबद ख़ाक से इबारत है
ज़ाफ़रानी शबीह थी उस कीमैं भी था सब्ज़ा-ए-बहार का रंग
रूह-ए-इंसाँ की जवाँ तिश्ना-लबी की ख़ातिरज़ंग-आलूद तमन्नाओं की ज़ंजीर लिए
नंबरों से और गोशों से रसाएल भर गएइस ज़वाल-ए-इल्म से ख़ुद इल्म वाले डर गए
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