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नज़्म
ज़मानी ज़द में ज़न की इक गुमान-ए-लाज़िमानी है
गुमाँ ये है कि बाक़ी है बक़ा हर आन फ़ानी है
जौन एलिया
नज़्म
मैं ख़ुद मैं हसन कूज़ा-गर पा-ब-गिल ख़ाक-बर-सर बरहना
सर-ए-चाक ज़ोलीदा-मू सर-ब-ज़ानू
नून मीम राशिद
नज़्म
नहीं मिन्नत-कश-ए-ताब-ए-शुनीदन दास्ताँ मेरी
ख़मोशी गुफ़्तुगू है बे-ज़बानी है ज़बाँ मेरी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जिन का हर लफ़्ज़ मुझे याद है पानी की तरह
याद थे मुझ को जो पैग़ाम-ए-ज़बानी की तरह
राजेन्द्र नाथ रहबर
नज़्म
अक़्ल जिस से सर-ब-ज़ानू है वो मुद्दत इन की है
सरगुज़िश्त-ए-नौ-ए-इंसाँ एक साअ'त उन की है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये तिरी आँखों की बे-ज़ारी ये लहजे की थकन
कितने अंदेशों की हामिल हैं ये दिल की धड़कनें
अहमद फ़राज़
नज़्म
कौन जाने कहाँ मंज़िल-ए-मौज है!
किस जज़ीरे पे है शाह-ज़ादी का घर ऐ मिरे चारा-गर