aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "شور_پند_ناصح"
बाला-हिसारशहर-ए-पिनह
ऐ मजाज़ ऐ तराना-बार मजाज़ज़िंदा पैग़म्बर-ए-बहार मजाज़
बशर रुमूज़-ए-मुक़द्दर तलाश करता हैक़ज़ा-ओ-क़द्र का मेहवर तलाश करता है
अफ़्सानों के मिज़ाज में अफ़्साना-पन नहींइस शुत्र-ए-बे-महार की सीधी है कौन कल
जो सुब्ह को मेरी रगों में बावले-पन केचमकते शोख़ सूरज को जगाए
पुरानी रिवायात के खोखले-पन के मल्बूस को फाड़ डालोसुनो शहर वालो
उसे उड़ते रहना पसंद था सो चली गईबड़ी शोख़ थी बड़ी तेज़-रौ
चार बाग़ स्टेशन देखोशहर में एक नया-पन देखो
ऐसे में जब कि शहर के सब रास्ते हों बंदसड़कों पे आ गए थे ये बा-ज़ौक़ शर-पसंद
शौक़ से खा जो तुझ को आए पसंदये पराठा ये नान है प्यारे
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