आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ضائع"
नज़्म के संबंधित परिणाम "ضائع"
नज़्म
उस के ख़त की राह देखूँ वक़्त मैं ज़ाएअ' करूँ
और उस के ख़्वाब में भी काश मैं आया करूँ
ओम भुतकर मग़्लूब
नज़्म
जंग की बारूद में ज़ाएअ' न कीजे माल-ओ-ज़र
मुस्कुरा कर डालिए लाखों ग़रीबों पर नज़र
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
फिर अब की बार ज़ाएअ' हो न जाए सर्दियों की धूप
ये सुब्ह-ओ-शाम पूजा अर्चना ये मंदिरों की धूप
पुष्पराज यादव
नज़्म
नसरीन अंजुम भट्टी
नज़्म
ईद के दिन चाहिए शुक्र-ए-ख़ुदा ज़िक्र-ए-रसूल
वक़्त क्यों ज़ाएअ' करें हम ज़ेर और बम के लिए