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नज़्म
हर इक नफ़स है तिरा हम-रिकाब अस्र-ए-रवाँ
हर इक नज़र है तिरी कारवान-ए-मुस्तक़बिल
मसूद अख़्तर जमाल
नज़्म
आँखों में ख़ौफ़ ओ यास है चेहरा उदास उदास है
अस्र-ए-रवाँ की लैला-ए-बुर्क़ा-फ़गन को क्या हुआ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
जिस की बातों में धड़कता है दिल-ए-अस्र-ए-रवाँ
आज तमसील-ए-ज़माना का वो किरदार है तू
जगन्नाथ आज़ाद
नज़्म
दीद ही दीद है ऐ उम्र-ए-रवाँ कुछ भी नहीं
ये जहाँ कितना हसीं है ये जहाँ कुछ भी नहीं
मसऊद हुसैन ख़ां
नज़्म
दीद ही दीद है ऐ उम्र-ए-रवाँ कुछ भी नहीं
ये जहाँ कितना हसीं है ये जहाँ कुछ भी नहीं