आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "قرینے"
नज़्म के संबंधित परिणाम "قرینے"
नज़्म
यकसाँ हैं जब क़रीने रफ़्तार के चलन के
दोनों हो चाँद-सूरज इस गर्दिश-ए-कुहन के
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
जो होता है हमेशा रूह-फ़र्सा हादसों का पेश-ख़ेमा सा
वही सारे क़रीने सारे हीले हैं बहम अब के