आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "مرحبا"
नज़्म के संबंधित परिणाम "مرحبا"
नज़्म
दिखाना है कि लड़ते हैं जहाँ में बा-वफ़ा क्यूँकर
निकलती है ज़बाँ से ज़ख़्म खा कर मर्हबा क्यूँकर
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
मर्हबा ऐ ख़ाक-ए-पाक-ए-किश्वर-ए-हिन्दोस्ताँ
यादगार-ए-अहद-ए-माज़ी है तू ऐ जान-ए-जहाँ
सफ़ीर काकोरवी
नज़्म
मर्हबा ऐ नौ-गिरफ़्तारान-ए-बेदाद-ए-फ़रंग
जिन की ज़ंजीरें ख़रोश-अफ़ज़ा-ए-ज़िंदाँ हो गईं
ज़फ़र अली ख़ाँ
नज़्म
ख़त्म तुझ पर हो गया लुत्फ़-ए-बयान-ए-आशिक़ी
मर्हबा ऐ वाक़िफ़-ए-राज़-ए-निहान-ए-आशिक़ी
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
मर्हबा ऐ पैकर-ए-पैक-ए-सुबुक-गाम-ए-बहार
ले के फिर तू गर्मियों में आई पैग़ाम-ए-बहार
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
मिरा फ़न ख़ाम है ताहम तुम्हारे दिल को छू लेगा
मिरे हर शे'र पर तुम बोल उठोगे मर्हबा यारो
सदा अम्बालवी
नज़्म
मर्हबा ऐ आतिश-ए-दिल आफ़रीं ऐ सोज़-ए-इश्क़
हर-नफ़स में इक हयात-ए-जाविदाँ पाता हूँ मैं