आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "مردوں"
नज़्म के संबंधित परिणाम "مردوں"
नज़्म
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया
साहिर लुधियानवी
नज़्म
यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह-ए-आलम
जिहाद-ए-ज़िंदगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
रहमान फ़ारिस
नज़्म
एक बोसीदा हवेली यानी फ़र्सूदा समाज
ले रही है नज़अ के आलम में मुर्दों से ख़िराज
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
तो पलकों से खोदोगे ख़ुद अपने मुर्दों की क़ब्रें
बिसात-ए-ज़ियाफ़त की ख़ाकिस्तर-ए-सोख़्ता के किनारे
नून मीम राशिद
नज़्म
सालहा बे-दस्त-ओ-पा हो कर बुने हैं तार-हा-ए-सीम-ओ-ज़र
उन के मर्दों के लिए भी आज इक संगीन जाल
नून मीम राशिद
नज़्म
जो इल्म मर्दों के लिए समझा गया आब-ए-हयात
ठहरा तुम्हारे हक़ में वो ज़हर-ए-हलाहिल सर-बसर