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नज़्म
इस से पहले कि हमारे नजीबुत-तरफ़ैन शजरे मश्कूक हो जाएँ
और हमारे हसब-नसब पर आँच आ जाए
आशुफ़्ता चंगेज़ी
नज़्म
वो सुलगते दिल पर मुस्कुराते गुज़र जाती है
दिल का मोआमला अंधेरे में मश्कूक हो जाता है
अहमद सुहेल
नज़्म
अली अकबर नातिक़
नज़्म
अली अकबर नातिक़
नज़्म
दोश पर गर्दन-ए-ख़म सलामत रहे
कर्बलाओं में उतरे हुए कारवानों की मश्कों का पानी अमानत रहे
अख़्तर हुसैन जाफ़री
नज़्म
फिर खड़े हो गए अपनी दुम के सहारे
कतरने लगे ऐसे प्यासी ज़बानों के नौहे जो मश्कों के