आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "مناسب"
नज़्म के संबंधित परिणाम "مناسب"
नज़्म
हाँ मुनासिब है ये ज़ंजीर-ए-हवा भी तोड़ दूँ
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
बज़्म-ए-मातम तो नहीं बज़्म-ए-सुख़न है 'हाली'
याँ मुनासिब नहीं रो रो के रुलाना हरगिज़
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
बज़्म-ए-मातम तो नहीं बज़्म-ए-सुख़न है 'हाली'
याँ मुनासिब नहीं रो रो के रुलाना हरगिज़
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
मैं समझता हूँ कि इस वक़्त मुनासिब नहीं आना तेरा
तू ने किस ज़ो'म में इस वक़्त पुकारा है मुझे