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नज़्म
आज गांदेर-बल हुआ है उस का मंज़ूर-ए-नज़र
उस के सर पर क्या घटा फिरती है मंडलाई हुई
शाह दीन हुमायूँ
नज़्म
सब का मंज़ूर-ए-नज़र था बाल-गंगा-धर-तिलक
कौन भारत की ख़बर ले उस के मर जाने के बा'द
बिस्मिल इलाहाबादी
नज़्म
डाल कर गुज़रे मनाज़िर पर अंधेरे का नक़ाब
इक नया मंज़र नज़र के सामने लाती हुई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
नहीं ये ढेर मिट्टी के सबक़-आमोज़-ए-इबरत हैं
करूँ ऐ हम-नशीं क्यूँकर न इन से इस्तिफ़ादा मैं
अली मंज़ूर हैदराबादी
नज़्म
बला का ख़्वाब-ए-राहत में मुझे मंज़र नज़र आया
क़लम में ये कहाँ ताक़त कि उस को कर सके ज़ाहिर
अहमद अज़ीमाबादी
नज़्म
फैली है फ़ज़ाओं में ख़ुशी मेरी नज़र की
हँसती नज़र आती हैं फ़ज़ाएँ मिरे घर की