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नज़्म
सत्यपाल आनंद
नज़्म
हैं कहते नानक शाह जिन्हें वो पूरे हैं आगाह गुरु
वो कामिल-ए-रहबर जग में हैं यूँ रौशन जैसे नाह गुरु
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
अली अकबर नातिक़
नज़्म
किसे किस घाट उतरना है
सराब-ए-रंग में महव-ए-सफ़र उन आहुवान-ए-नाफ़ा-ए-गुम-कर्दा से, कुछ पूछो