aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "نیت_خالص"
غلط نگر ہے تري چشم نيم باز اب تک ترا وجود ترے واسطے ہے راز اب تک
تميز حاکم و محکوم مٹ نہيں سکتي مجال کيا کہ گداگر ہو شاہ کا ہمدوش
और जज़्बात से ख़ाली दिलनेक-ओ-बद के एहसास से मावरा
किरामन-कातिबीन आमाल-नामा लिख के ले जाएँदिखाएँ ख़ालिक़-ए-कौन-ओ-मकाँ को और समझाएँ
एक नया मरहलानींदों से ख़ाली किया
दामन तिरा ख़ाली है तो ऐ वक़्त तुझे क्यातू कह के गुज़र जा कि नया साल मुबारक
ये लम्हा जो गुज़र रहा हैऔर वक़्त जो बीत रहा है
ख़ूब होता अगर हुआ करतेख़त के काग़ज़ ये पेड़ के पत्ते
आँख समुंदरबहते बहते
रात इक नीले ख़्वाब में मैं नेपानी की आमेज़िश से
ख़ुदाए बरतरअज़ीम ख़ालिक़
आख़िरी दिन का डूबता सूरजतेरी चौखट पे सज्दा-रेज़
ख़ामोशी के जौहड़ मेंखिलने वाले फूल
फ़क़त ख़ाली पिंजरा बदन का पड़ा थाऔर नीम-वा इन किवाड़ों की हर चरचराहट में
वो एक नीम पागल लड़कीबैठी रहती थी किनारे पर
वक़तन-फ़वक़तन हमारी तारीफ़ की जाएहमें शाबाशी दी जाए
ख़ाली जेबों की तरफ़ इशारा कर के मुस्कुराती हैऔर नौजवानी शेख़ नेक-टाईयाँ लगाए
नेट ईजाद हुआ हिज्र के मारों के लिएसर्च इंजन है बड़ी चीज़ कुँवारों के लिए
ये बात समझ में आई नहींऔर अम्मी ने समझाई नहीं
इक बोसीदा मस्जिद मेंदीवारों मेहराबों पर
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