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नज़्म
रोज़ ओ शब नैरंगियाँ तेरी हैं क्या क्या जाँ-फ़ज़ा
किस क़दर है रूह-परवर ये तिरी आब-ओ-हवा
सफ़ीर काकोरवी
नज़्म
मैं ने उन राहों में देखी हैं बहुत नैरंगियाँ
ढोलकों के ज़ेर-ओ-बम चिम्टों की ख़ुश-आहंगियाँ
अर्श मलसियानी
नज़्म
चुटकियाँ लेने लगे हैं फूल के पहलू में ख़ार
हम-नशीं दुश्मन बने ये वक़्त की नैरंगियाँ
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
मेरे लब पर क़िस्सा-ए-नैरंगी-ए-दौराँ नहीं
दिल मिरा हैराँ नहीं ख़ंदा नहीं गिर्यां नहीं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तेरे आईना से पैदा है मोहब्बत का तिलिस्म
तेरी नैरंगी में पोशीदा है हैरत का तिलिस्म
साक़िब कानपुरी
नज़्म
तेरे आईने से पैदा है मोहब्बत का तिलिस्म
तेरी नैरंगी में पोशीदा है हैरत का तिलिस्म
साक़िब कानपुरी
नज़्म
तेरे जौर-ओ-सितम-ओ-नाज़-ओ-तलव्वुन के क़तील
काँप कर कहते हैं नैरंगी-ए-क़िस्मत तुझ को