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नज़्म
तेरी अम्माँ के रा'शा-ज़दा हाथ ख़ुश-हालियाँ ढूँडते ढूँडते
इन धुले बर्तनों में पड़े रह गए
जावेद अनवर
नज़्म
इलियास बाबर आवान
नज़्म
हुरमतुल इकराम
नज़्म
मोहम्मद हनीफ़ रामे
नज़्म
राह में चलते हुए ठोकर लगी और गिर पड़े
यूँही काँटे चुभ गए हैं, फट गई है आस्तीं
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
पहुँचाए ख़्वान फिरते हैं नौकर कई पड़े
ज़िंदे भी राह तकते हैं मुर्दे भी हैं खड़े
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
रह-ए-तारीक-ए-ज़लालत में पए ख़ल्क़-ए-ख़ुदा
शम्अ-सा मज़हर-ए-अनवार गुरु-नानक थे