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नज़्म
धूप पड़ी, तो खुल गई आँखें, खुल गया सारा भेद
ग़श खाया, तो दौड़े आए मुंशी, पंडित, वेद
मुस्तफ़ा ज़ैदी
नज़्म
दान के पैसे गिनता पंडित ताँबा सूरज सांझी का
जमुना पर मीनार क़िला के गुम्बद का तिरछा साया
फ़हमीदा रियाज़
नज़्म
इतनी सी उम्र में भी फ़ित्ने उठाएँ क्या क्या
पिंकी के गाल नोचे बब्लू को जा खसोटा