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नज़्म
बराहीमी नज़र पैदा मगर मुश्किल से होती है
हवस छुप छुप के सीनों में बना लेती है तस्वीरें
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
लाख बैठे कोई छुप-छुप के कमीं-गाहों में
ख़ून ख़ुद देता है जल्लादों के मस्कन का सुराग़
साहिर लुधियानवी
नज़्म
हवा में तैरता ख़्वाबों में बादल की तरह उड़ता
परिंदों की तरह शाख़ों में छुप कर झूलता मुड़ता
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
मिरे तख़्ईल के बाज़ू भी उस को छू नहीं सकते
मुझे हैरान कर देती हैं नुक्ता-दानियाँ उस की
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
उठा होटल का 'पर्दा सामने पर्दा-नशीं आए
जो छुप कर कर रहे थे एहतिराम-ए-हुक्म-ए-दीं आए
मजीद लाहौरी
नज़्म
वुसअतें मैदान की सूरज के छुप जाने से तंग
सब्ज़ा-ए-अफ़्सुर्दा पर ख़्वाब-आफ़रीं हल्का सा रंग