आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "کاروان"
नज़्म के संबंधित परिणाम "کاروان"
नज़्म
پھول بے پروا ہيں ، تو گرم نوا ہو يا نہ ہو
کارواں بے حس ہے ، آواز درا ہو يا نہ ہو
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कहीं तो कारवान-ए-दर्द की मंज़िल ठहर जाए
किनारे आ लगे उम्र-ए-रवाँ या दिल ठहर जाए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ख़िज़ाँ रहे या बहार आए तुम्हारे हाथों में फ़ैसला है
न चैन बे-ताब बिजलियों को न मुतमइन कारवान-ए-शबनम
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
ज़ुल्फ़ों के पेच-ओ-ख़म में बहारें छुपी हुई
इक कारवान-ए-निकहत-ए-बुसताँ लिए हुए
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
कारवान-ए-रफ़्ता को था तेरी यकताई पे नाज़
अस्र-ए-मौजूदा ने भी माना है तेरा इम्तियाज़
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
वहीं जा कर थमेगा कारवान-ए-लाला-ओ-गुल भी
नसीम-ए-सुब्ह के झोंके जहाँ जा कर ठहरते हैं
नज़्म तबातबाई
नज़्म
हर इक नफ़स है तिरा हम-रिकाब अस्र-ए-रवाँ
हर इक नज़र है तिरी कारवान-ए-मुस्तक़बिल