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नज़्म
हर शाम यहाँ शाम-ए-वीराँ आसेब-ज़दा रस्ते गलियाँ
जिस शहर की धुन में निकले थे वो शहर दिल-ए-बर्बाद कहाँ
हबीब जालिब
नज़्म
बल्ली-मारां के मोहल्ले की वो पेचीदा दलीलों की सी गलियाँ
सामने टाल की नुक्कड़ पे बटेरों के क़सीदे
गुलज़ार
नज़्म
अभी हैं शहर की तारीक गलियाँ मुंतज़िर मेरी
अभी है इक हसीं तहरीक-ए-तूफ़ाँ मुंतज़िर मेरी
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
इक ख़्वाब की आहट से यूँ गूँज उठीं गलियाँ
अम्बर पे खिले तारे बाग़ों में हँसें कलियाँ
अमजद इस्लाम अमजद
नज़्म
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
वो गलियाँ वो फूल वो कलियाँ रंग-भरे बाज़ार
मैं ने उन गलियों फूलों कलियों से किया है प्यार