aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "گم_سم"
दीवारें दरवाज़े दरीचे गुम-सुम हैंबातें करते बोलते कमरे गुम-सुम हैं
बहुत गुम-सुम बहुत ख़मोश हैवो चंद अर्से से
गुम-सुमसभी गलियाँ और
याक़ूत पिघलते रहते हैंअब अपनी गुम-सुम आँखों में
ख़ौफ़ के मारेगुम-सुम का क्यों
नम आँखों सेगुम-सुम मुझ को देख रहे हैं
गुम-सुम हैखोया खोया है
उन्हीं की आँखों में खेलती हैंउन्ही के गुम-सुम
सब बात समझ रहा है लेकिनगुम-सुम सा मुझ को देखता है
कुछ दिनों से इक चिड़ियाचुप उदास गुम-सुम सी
और वो गुम-सुम सोच रहा थासोच रहा था
किस सोच में गुम-सुम है तूऐ बे-ख़बर नादाँ न बन
हम दोनों तन्हा होंथोड़ी देर को गुम-सुम से बैठें
तपस्या के सेहर में गुम-सुमरिवायतों के नशे में डूबी
भालू गुम-सुम बैठ गया हैखेल-तमाशा ख़त्म हुआ है
लकड़ियों की याद में गुम-सुमएक कोने में पड़ा है
इक अंधा सा हाला हैऔर हाले में गुम-सुम रूहें
तू अपने ख़याल के कोहरे मेंलिपटी हुई गुम-सुम बैठी थी
भारी है सुब्ह शाम गुम-सुम सीरात भी ख़ौफ़नाक लगती है
सभी ख़ामोश गुम-सुम हैंयहाँ से कौन जाएगा
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