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नज़्म
तुझ पे उट्ठी हैं वो खोई हुई साहिर आँखें
तुझ को मालूम है क्यूँ उम्र गँवा दी हम ने
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
फिर वो टूटा इक सितारा फिर वो छूटी फुल-जड़ी
जाने किस की गोद में आई ये मोती की लड़ी
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
दुनिया की महफ़िलों से उक्ता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये निस्बत के बहुत से क़ाफ़िए हैं है गिला इस का
मगर तुझ को तो यारा! क़ाफ़ियों की बे-तरह लत है