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नज़्म
उखड़ी-उखड़ी बात करे है भूल के अगला याराना
कौन हो तुम किस काम से आए? हम ने न तुम को पहचाना
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
मुस्लिम से तनफ़्फ़ुर और कुफ़्फ़ार से याराना
आख़िर ये क़ला-बाज़ी क्यूँ खा गए मौलाना
ज़रीफ़ लखनवी
नज़्म
देस परदेस के यारान-ए-क़दह-ख़्वार के नाम
हुस्न-ए-आफ़ाक़, जमाल-ए-लब-ओ-रुख़्सार के नाम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
क़ौम को इस शान-ओ-शौकत से तुम्हारी क्या मिला
दो जवाब इस का अगर रखती हो यारा-ए-मक़ाल
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
आसमाँ की गोद में दम तोड़ता है तिफ़्ल-ए-अब्र
जम रहा है अब्र के होंटों पे ख़ूँ-आलूद कफ़
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
सर-ब-सर इक मुज़्दा-ए-तसकीन-ए-मरदान-ए-ज़ईफ़
क़ुव्वत-ए-बाज़ू-ए-यारान-ए-जवाँ पैदा हुआ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
तिरे सीने पे जब यारान-ए-ख़ुश आएँ की महफ़िल हो
तो ऐ 'ओवल' उसे मत भूल जाना वो भी शामिल हो