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नज़्म
देखना जल्वा-ए-जानाँ का असर आज की रात
फूल ही फूल हैं ता-हद्द-ए-नज़र आज की रात
क़ाज़ी गुलाम मोहम्मद
नज़्म
जल्वा-ए-हुस्न-ए-अज़ल आए तसव्वुर में अगर
गोशा-ए-दिल में मचलते हुए अरमाँ होंगे
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
ऐ शहीद-ए-जलवा-ए-मानी फ़क़ीर-ए-बे-नियाज़
इस तरह किस ने कही है दास्तान-ए-सोज़-अो-साज़
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
उल्फ़त की राह में मर जाना पर नाम जहाँ में कर जाना
ये पाठ वतन के बच्चों को सिखला दिया गाँधी बाबा ने
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
'आफ़्ताब' आज फँसा जाता है फिर ताइर-ए-दिल
हाए अफ़्सोस कि सय्याद का जाल अच्छा है
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
बे-ख़ुदी कहती है आया ये फ़ज़ा में क्यूँ कर
किसी उस्ताद मुसव्विर का है ये जल्वा-ए-ख़्वाब