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नज़्म
हवा उस के बाज़ू पे लिक्खा हुआ कोई ता'वीज़ बाँधे तो कहना
कि आवारगी ओढ़ कर साँस लेते मुसाफ़िर
मोहसिन नक़वी
नज़्म
तब नज़ारे नज़र-आश्ना
इज़्न-ए-आवारगी ज़ाद-ए-अफ़्सुर्दगी दे के थर्राए बा-चश्म-ए-तर
शफ़ीक़ फातिमा शेरा
नज़्म
बदन तो है मुंजमिद रगों में लहू मगर तमतमा रहा है
बला की है सर्द रात लेकिन मैं आज आवारगी करूँगा