आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "इन्हें"
नज़्म के संबंधित परिणाम "इन्हें"
नज़्म
कहा ये सुन के गिलहरी ने मुँह सँभाल ज़रा
ये कच्ची बातें हैं दिल से इन्हें निकाल ज़रा!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
किताबें ऐसी कि आम इंसाँ को इन के पढ़ने का हक़ है लेकिन
इन्हें समझने का हक़ न हरगिज़ दिया गया है
तारिक़ क़मर
नज़्म
इन्हीं दो चार साँसों में ज़माने को बदलना है
इन्हें भी सर्द गीतों में गँवाऊँ किस तरह 'कैफ़ी'