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नज़्म
'ऐन मुमकिन है कि दुनिया तुम्हें अफ़्साना कहे
पर हक़ीक़त की तरह मुझ पे हुवैदा तुम हो
ज़ुबैर अहमद सानी
नज़्म
जो आप की ज़िंदगी में एक ख़ुश-गवार इंक़लाब बरपा कर सकता है
ऐन-मुमकिन है मेरे तज्वीज़-कर्दा नुस्ख़े को