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नज़्म
दर्द से कराह रहा है
ज़मीनी ख़ुदाओं की संग-दिली देख कर आसमानों पर मौजूद देवता भी शश्दर हैं
क़मर जहाँ नसीर
नज़्म
ये हिन्दी वो ख़ुरासानी ये अफ़्ग़ानी वो तूरानी
तू ऐ शर्मिंदा-ए-साहिल उछल कर बे-कराँ हो जा