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नज़्म
एक दिन हज़रत-ए-हाफ़िज़ ने ये देखा मंज़र
तौक़-ए-ज़र्रीं से मुज़य्यन है हमा गर्दन-ए-ख़र
रज़ा नक़वी वाही
नज़्म
बयाज़-ए-ज़िंदगी में अम्न का वरक़ ही साफ़ है
ये आफ़ियत का क़स्र है और क़स्र में शिगाफ़ है
अशरफ़ रफ़ी
नज़्म
जहाँ में है ज़िया मिरी मैं हुस्न-ए-जल्वा-कार हूँ
मैं रौनक़ इस चमन की हूँ मैं फ़स्ल-ए-नौ-बहार हूँ
सय्यद वहीदुद्दीन सलीम
नज़्म
मैं भी हूँ गोया क्रिसमस का दरख़्त
मेरा रिश्ता भी ज़मीं से आसमाँ से और हवा से कट चुका
शहज़ाद अहमद
नज़्म
सुकूँ के फूल हर इक दिल में माँ खिलाती है
वो उजड़े घर को भी रश्क-ए-जिनाँ बनाती है