aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "क़त्ल-गाह"
क़त्ल-गाह की रौनक़हस्ब-ए-हाल रखनी है
कि अजब चराग़ से जल उठेसर-ए-क़त्ल-गाह गुलू गुलू
फ़ख़्र से चलेंगेक़त्ल-गाह को
क़त्ल-गाह-ए-रह-गुज़र पररिक्शों' बसों कारों के शोर-ए-गराँ में
सो शर्त ये है जो जाँ की अमान चाहते होतो अपने लौह-ओ-क़लम क़त्ल-गाह में रख दो
कब क़त्ल-गाह होगीये एक लम्हा में जीने-मरने की
मैं तो हर रोज़ क़त्ल होता हूँज़िंदगी क़त्ल-गाह है
क्या ख़बर थी ये अद्ल की जागीररहम की क़त्ल-गाह भी होगी
लफ़्ज़ों की क़त्ल-गाह मेंम'आनी की सर-बरहना शमशीर के लिए मुंतज़िर खड़े हैं
हर कूचा शो'ला-ज़ार है हर शहर क़त्ल-गाहयक-जेहती-ए-हयात के आदाब क्या हुए
अब भी चाहेंगे उसे हर मोड़ परक़त्ल-गाह-ए-ज़िंदगी में हर घड़ी
उस की गली को जानता पहचानता हूँ मैंवो मेरी क़त्ल-गाह है ये मानता हूँ मैं
कभी सुब्ह की क़त्ल-गाह शब के घायल बदन मेंउन्हें हम ने आवाज़ दी कू-ब-कू
हैं क़त्ल-गाहों के नाम सारेमिरी ज़मीं का हर एक इंसाँ
ये अपनी इजतिमाई क़त्ल-गाहों कातमाशा देखते हैं पर
इतनी गुंजान क़त्ल-गाहेंजिन से आए हैं हम गुज़र कर
क़त्ल-गाहों से चुन कर हमारे अलमऔर निकलेंगे उश्शाक़ के क़ाफ़िले
ये क़त्ल-गह का नज़ारा क्यूँ हैमुझे बताओ कि आज कैसे
गुनाहगार फ़ज़ाओं की क़त्ल गाहों मेंहक़ीक़तों का पता है न दास्ताँ बाक़ी
न क़त्ल-गह से हिरासाँ न संगसारों सेकि एक उम्र गुज़रती है जुस्तुजू करते
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