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नज़्म
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
नज़्म
तज़्किरे हैं क़द-ओ-गेसू के बहर-तौर अज़ीज़
मुफ़्लिसी में दिल-ए-गुलबार कहाँ से लाऊँ
बेबाक भोजपुरी
नज़्म
''क़द ओ गेसू में क़ैस-ओ-कोहकन की आज़माइश है
जहाँ हम हैं वहाँ दार-ओ-रसन की आज़माइश है''
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
एहसास होता है उन्हें मोतियों की क़दर-ओ-क़ीमत का
अपने ख़्वाबों की रेशमी डोर से माला बनाते रहते हैं
ज़ीशान साहिल
नज़्म
शुऊ'र जाग उठा तो ये हम पे फ़ाश हुआ
हमारा दौर है अपनी भी क़द्र-ओ-क़ीमत है