आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "कुन"
नज़्म के संबंधित परिणाम "कुन"
नज़्म
असर कुछ ख़्वाब का ग़ुंचों में बाक़ी है तू ऐ बुलबुल
नवा-रा तल्ख़-तरमी ज़न चू ज़ौक़-ए-नग़्मा कम-याबी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अपनी दुनिया आप पैदा कर अगर ज़िंदों में है
सिर्र-ए-आदम है ज़मीर-ए-कुन-फ़काँ है ज़िंदगी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कभी झीलों के पानी में कभी बस्ती की गलियों में
कभी कुछ नीम उर्यां कमसिनों की रंगरलियों में
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
किसी को मौत से पहले किसी ग़म से बचाना हो
हक़ीक़त और थी कुछ उस को जा के ये बताना हो
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
तुम्हारे ज़ख़्मों को भर दे ऐसी दवा नहीं है
मगर हम ऐसे ख़ुदा-परस्तों की दस्तरस में दु'आ-ए-कुन है
अरसलान अब्बास
नज़्म
मेरे इदराक में हैं कुन-फ़यकूँ के असरार
मिरे अशआ'र में है क़ल्ब-ए-हज़ीं की धड़कन
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
फूँक दो क़स्र को गर कुन का तमाशा है यही
ज़िंदगी छीन लो दुनिया से जो दुनिया है यही