aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "कोहल-ए-बसर"
कैफ़-ए-जाँ नूर-ए-बसर याद आयाअर्सा-ए-हर्फ़-ओ-हुनर याद आया
ज़र्रा ज़र्रा झूम कर लेने लगा अंगड़ाइयाँकहकशाँ तकने लगी हैरत से सू-ए-जू-ए-बार
ये गश्त कोहसार कीये सैर जू-ए-बार की
शेर-ए-बबर ने पहना चोग़ागीदड़ कोट पहन इतराया
या कहीं कोईये बंजर सा ख़राबा है
तू दलील-ए-सहर शम'-ए-बहर-ओ-बरराह-ए-ईमान भी रंग-ए-विज्दान भी
किसे बताएँज़मीर-ओ-ज़र्फ-ए-बशर पे मौक़ूफ़ हैं मसाइल
तू रहबर-ए-नौ-ए-बशरतू अम्न का पैग़ाम-बर
ये बार बार आएगीसुनोगे बार बार तुम
रूह-ए-बशर को लर्ज़ां देखामजबूरी को उर्यां देखा
जंगल के सुल्तान को देखोशेर-ए-बबर की शान को देखो
इंसान की शक्ल में बहाइमऔलाद-ए-बशर गिद्धों से बद-तर
मैं कि सुब्ह-ए-अज़लजुस्तुजू-ए-बशर में चला था
मालिक-ए-बहर-ओ-बरदेख सकता नहीं
ज़ेर-ए-बार जुमूद-ए-गराँएक संग-ए-मलामत की मानिंद
मुझ पे ये बार हैंमिरे आइने का ग़ुबार हैं
कहकशाओं की उरूसा के मचलते अरमानसीना-ए-बहर पे बिफरी हुई पागल मौजें
रंग की इक जू-ए-बारपर्दा जैसे ख़ाना-ए-तस्वीर का उठता हुआ
मेरे लिए तुम सरगर्दां थेबहर था मैं तुम मौज-ए-रवाँ थे
मेरे भी दिल केहर एक गोशे में ये बसा है
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