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नज़्म
किसी ने हाल पूछा तो बहुत ही बे-नियाज़ी से
कहा जी हाँ ख़ुदा का शुक्र है मैं ख़ैरियत से हूँ
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
उन्ही आँखों में मेरे ख़ैरियत से लौट आने पर
न था अश्क-ए-मसर्रत भी... कि मेरी राह तकना जिन