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नज़्म
अस्र-ए-हाज़िर में है ऐसा साहिब-ए-तदबीर कौन
बज़्म-ए-गीती की बदल सकता है अब तक़दीर कौन
मुनीर वाहिदी
नज़्म
शुऊर-ए-अस्र-ए-हाज़िर में सिमटती है ख़ुदाई
समाअ'त का ये आलम है जो गुम-गश्ता सदाएँ थी सुनाई दे रही हैं
सलमान सरवत
नज़्म
एक ख़िज़्र-ए-अस्र-ए-हाज़िर इक कलीम-ए-अहद-ए-नौ
एक सद्र-ए-महफ़िल-ए-रुहानियाँ पैदा हुआ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
अब किसी के जाल में ये क़ैद हो सकता नहीं
था 'असर' जिस का असीर-ए-दाम रुख़्सत हो गया
शाहीन इक़बाल असर
नज़्म
क़ुलूब-ए-अस्र-ए-हाज़िर में अभी ईमान ढल जाए
फ़क़ीरों का नहीं देखा है ए'जाज़-ए-कलीमाना
बेबाक भोजपुरी
नज़्म
कि मैं हूँ वारिस-ए-तारीख़-ए-अस्र-ए-इंसानी
क़दम क़दम पे जहन्नम क़दम क़दम पे बहिश्त