आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "जलाना"
नज़्म के संबंधित परिणाम "जलाना"
नज़्म
जलाना है मुझे हर शम-ए-दिल को सोज़-ए-पिन्हाँ से
तिरी तारीक रातों में चराग़ाँ कर के छोड़ूँगा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मदद करनी हो उस की यार की ढारस बंधाना हो
बहुत देरीना रस्तों पर किसी से मिलने जाना हो
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
जलाना छोड़ दें दोज़ख़ के अंगारे ये मुमकिन है
रवानी तर्क कर दें बर्क़ के धारे ये मुमकिन है
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
मारो न हमें डैडी बचपन का ज़माना है
मौसम है ये हँसने का हँस हँस के बिताना है